Thursday, 31 December 2015

उम्मीद की गेंद.. (Part 5):


उम्मीद की गेंद..

Part 5):

दीपू चेहरे पे एक गहरी मासूम मुस्कान लिए बड़ी बड़ी आँखों से बुआ को झोला टटोलते हुए देखने लगा.. जरा सी देर में वो मिलने वाले उपहार के अनगिनत कयास लगा चुका था... कल्पना से परे और उम्मीद से कोसों दूर बुआ के हाथ में थी चमचमाते प्लास्टिक के कवर के अंदर एक बाल !!!!!

बुआ के इस अकल्पनीय तोहफे को अपने हाथ में लेते हुए दीपू की छोटी मासूम आँखें नम हो चली और धड़कने एक मदमस्त अरबी घोड़े की तरह कुलाचें भरने लगी...

झट से दीपू ने प्लास्टिक के कवर को हटा कर बाल को बड़ी नजाकत से हाथ में घूमना शुरू कर दिया... ये हरे रंग की बॉल है जबकि लाला महावीर की दुकान पर 19 रूपये की लाल रंग की बॉल मिलती है और बुआ की लायी इस बॉल पर MRP था 35 रूपये.. उस लाल रंग की बॉल से कहीं अधिक सुन्दर और महंगी बॉल बुआ मेरे लिए लायी है सोच के दीपू को बुआ किसी जादूगर की तरह लग रही थी..

COSCO ब्रांड की बॉल भारत के हर शहर, हर कस्बे और हर छोटे बड़े गांव में प्रचलित होती है, और हर हरी या लाल रंग की टेनिस की बॉल जिसका भी नाम C से शुरू होता है उतनी ही शिद्दत से COSCO की बॉल मानी जाती है जितनी शिददत से कि हर वनस्पति घी "Dalda" और हर लोहे की फाटक वाली अलमारी Godrej..

COSCO ब्रांड इस छोटे पहाड़ी गावं के बच्चे के हाथ तक अपनी बॉल तो नही पहुंचा पाया लेकिन "COSKO" लेबल लगी इस बॉल ने नाम जरूर पहुंचा दिया..

बॉल को देख छोटी बहन भी ख़ुशी से उछल पड़ी जिसे देख दीपू थोड़ा सा असहज महसूस करने लगा... वो किसी भी कीमत पर बॉल छोटी के साथ साझा नही करना चाहता था इस डर से कि छोटी बॉल को कहीं गुमा न दे..

दीपू बॉल को हाथ में लिए बस कभी बॉलिंग तो कभी बैटिंग के एक्शन किये जा रहा था..

पूरी रात दीपू ठीक से नही सो पाया, मन तो बस उतावला हुआ जा रहा था की कब सूरज सामने वाले पहाड़ के पीछे जायेगा और कब आज का खेल शुरू होगा.. बुआ को भी आज ही वापस लौटना था और उम्मीद के मुताबिक बुआ ने जाते हुए दीपू और छोटी दोनों के हिस्से का 10 रूपये का नोट दीपू के हाथ में थमा दिया.. आज दीपू को बुआ की बहुत जादा याद आ रही थी, और आती भी क्यों ना, बुआ उसे आते और जाते अनेकों खुशियां जो थमा चुकी थी..

दीपू बुआ को छोड़ने ऊपर सड़क तक गया और लौटते हुए मिले पैसों की कई सारी चीज़ें साथ लेके आया जिसे कि आज उसने पूरी ईमानदारी से छोटी के साथ बांटा.. छोटी को भी आज दीपू पे खूब प्यार आया जब दीपू ने अपने हिस्से की कई चीज़ें बड़े भाई होने के एहसास के साथ छोटी को अलग से दे दी..

शाम होने को आ गयी थी, और दीपू चौकड़ी भरता हुआ, बॉल को प्लास्टिक के कवर के साथ अपनी पैंट की जेब में घुसेड़े मैदान पर जा पहुंचा.. आज वो सबसे पहले ही मैदान पे पहुँच चुका था.. आज के खेल के लिए बच्चों के पास बॉल पहले से ही मौजूद थी तो जाहिर था दीपू किसी भी कीमत पर खेल में शामिल नही हो सकता था.. उसे आज भी बाउंड्री पर रक्षक बने रहना था...

हमेशा के जैसे आज भी खेल शुरू हुआ, बॉल बीच बीच में मैदान से बाहर नीचे नदी की तरफ जा रही थी लेकिन हमेशा के जैसे बॉल को ढूंढ लाने की दीपू की शिद्दत और मेहनत में आज करामाती बदलाव दिख रहे थे.. आज भी दीपू बॉल को ढूंढने की कोशिश कर तो रहा था मगर अपनी मेहनत को बड़े सहेज कर कंजूसी के साथ खर्च करके...

बॉल को ढूंढने का प्रयास दीपू दिखा जरूर रहा था लेकिन मन में बॉल ना मिलने की आरती और प्रार्थनाएं भी शुरू हो चुकी थी..

"अब मुश्किल मिलेगी, झाड़ के अंदर नीचे उस तरफ गयी है शायद" बार बार बोल के दीपू सभी से बॉल मिलने की उम्मीद छोड़ देने की गुहार लगाना चाह रहा था.. आखिरकार बहुत प्रयासों के बाद बॉल नही मिली लेकिन गावं के ऊपर घिर चुके काले घने बादलों की बदौलत वक़्त से पहले अँधेरा होने के कारण बच्चों को आज का खेल समाप्त करना पड़ा !!

कल से मैं भी किसी टीम में खेलूंगा, सुरेश की टीम जादा पक्की है राजेश की टीम से, तो मैं सुरेश की टीम में ही जाऊंगा और किसी भी कीमत पे अपनी बॉल को खोने नही दूंगा सोचते हुए ख़ुशी ख़ुशी दीपू घर लौट लाया..

चारों तरफ से बड़े बड़े पहाड़ों से घिरे गावं के लिए थोड़े से घने बादल भी भीषण बरसात लेके आते, जबकि आज तो बादलों के इरादे कहीं अधिक डरावने और मजबूत थे !!

भीषण गड़गड़ाहट और बीच बीच में चमचमाती बिजली के साथ तेज बारिश होने लगी.. दीपू घर पर बॉल को छोटी बहन से छुपाने के लिए अच्छी जगह तलाशने में जुट गया.. सोते समय छोटी की रो रो के की जा रही बहुत तेज जिद, माँ की गिड़गिड़ाहट और बाबा की कई डांट के आगे मजबूर दीपू ने दिल पे बड़ा सा पत्थर रख बॉल छोटी को थोड़ी देर खेलने के लिए दे दी और साथ में बहुत सख्त हिदायत दी बॉल को जल्दी सँभालने और बाहर बारिश में ना भिगाने की..

दीपू का मन लगातार बॉल पर ही था की कहीं छोटी उसे भिगा या खो ना दे....आखिर में माँ से तस्सली मिलने पर दीपू कल मैदान पर खेल के सपने लिए सो गया...


To be continued...
(Alok Painuly)

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